सेल सेल सेल

जिनको अहंकार है
मेरा सीना बलवान
मिट गया वो गुरुर जहापर
वो धरती गलवान

साबरमती मे ग्यारह को झुलाया
बहुत किया सम्मान
दोस्ती टूटी फिर भी यही पर
व्यर्थ हुवा जहा जलपान
वो धरती गलवान

फोटो लिए एक सेवक आया
बोला, प्रधानजी देखो कौन घुस आया
चौडे सीने ने फरमाया
चिंता नही
उन्होंने हमारा ढोकला है खाया

फिर कुछ और लोग आये
बोले उन्होंने ने तो जमा लिए है डेरा
एक मंत्री ने एक शेर सुनाया
कोई बोला ऐसा सुझाव बताया
सच्चाई को छुपाते है और
L.E.D लगवाते है

बात निकली हाथ से
गलवान की घाटी में हुई घटना गंभीर
भारत माता की रक्षा मे
शहीद हुवे हमारे बीस वीर

एक झूठ छुपाने के लिए
सौ बोलने पडे
कोई बोला हथ्यार थे
कोई बोला तलवार म्यान थी
किसी की प्रतिमा के चक्कर मे
सच्चाई पडी मौन थी

शब्द किसी के
चेहरा किसी का
नाकामी किसी की
परदा किसी का
चुनाव की होली मे रंगा प्रधान
बोला मारते मारते मर गये
शहीदो का किया अपमान
कभी न भूलो देश वासियो
वो धरती गलवान

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I write to remember. I write to remain honest. I write to leave a bread crumb trail for my daughter. I write to relax. Trying to impress my better half, I write

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Maruti Naik

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