सलाम बनता है
1 min readMar 12, 2018
लहू से भरे अपने कदम लिए,
एक आवाज़ ने दस्तक दी है ,
खामोश खड़ी सरकर को,
एक चेतावनी सी दी है.
फुर्सत अगर मिले सरकार को,
गीत गाने से, वीडियो बनाने से,
मोटे MOU के सपने सजाने से,
तो शायद आहट इन कदमो की,
सुन भी लेंगे
कुछ देर अपनी ऊँची इमारतो को छोड,
ज़मीन से भी बाते कर लेंगे.
इतना तो कर ही सकती है बाकी आवाम ,
जिनकी मज़दूरी की रोटी खाते है,
उन्ही को बदनाम न करे,
बच्चो की सोचकर जो रात को भी चले,
कम से कम, इनको सलाम तो करे.